सौरव गांगुली के करियर का ऐसा अंत होगा, शायद ही किसी ने सोचा होगा। लेकिन, दादा के भाग्य में शायद ऐसी ही विदाई लिखी थी। जेसन क्रेजा ने गांगुली को आखिरी पारी में शून्य पर आउट कर उनकी विदाई को किरकिरा कर दिया।
वो अपना आखिरी टेस्ट खेल रहे थे और उनके सामने गेंदबाजी कर रहा था वह गेंदबाज, जो अपना पहला टेस्ट खेल रहा था। पहली पारी में दोनों ने शानदार प्रदर्शन किया था। सौरव गांगुली ने 85 रन बनाए थे, तो जेसन क्रेजा ने आठ विकेट हासिल किए थे। दूसरी पारी में दोनों के बीच एक रोचक मुकाबले की उम्मीद थी। लेकिन, मुकाबला शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया। पारी का 47वां ओवर फेंक रहे क्रेजा ने इस ओवर की दूसरी गेंद पर ही सौरव गांगुली को शून्य पर आउट कर उनकी विदाई का मजा किरकिरा कर दिया। गांगुली क्रीज पर आए और चल दिए।
क्रेजा के लिए जहां यह लम्हा जश्न का था, वहीं दादा के लिए मायूसी का। निश्चित रूप से दर्शकों और खुद दादा को भी उम्मीद होगी कि वे अपनी आखिरी पारी को यादगार बनाने की कोशिश करेंगे, लेकिन उम्मीदें टूट गईं। लक्ष्मण के आउट होने के बाद बल्लेबाजी करने उतरे सौरव गांगुली जैसन क्रेजा की एक घूमती हुई गेंद को समझने में नाकाम रहे और उसे क्रॉस द लाइन खेला। गेंद बल्ले का लीडिंग ऐज लेते हुए क्रेजा की ओर बढ़ी और क्रेजा ने इसे कैच में तब्दील कर दादा की पारी का अंत सिर्फ एक गेंद में कर दिया।
सौरव गांगुली के लगभग डेढ़ दशक लंबे करियर का अंत इस तरह से होगा, ऐसा न तो खुद उन्होंने सोचा होगा और न ही उनके चाहने वालों को ही ऐसी उम्मीद होगी। आउट होने के बाद एक पल को तो दादा को यकीन ही नहीं हुआ कि वो आउट हो चुके हैं। उन्होंने एक बार क्रेजा की ओर देखा, फिर ऊपर आसमान की ओर देखा। शायद वो भगवान से कह रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्यों?
अंत तक हार नहीं मानने वाले सौरव ने पहली पारी में अपने इरादे साफ कर दिए थे कि वो अपने करियर की आखिरी पारी को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंग। पहली पारी में उन्होंने 85 रन बनाए, जिसमें 8 चौके और एक शानदार छक्का शामिल था। दूसरी पारी में भी जब सौरव बल्लेबाजी करने के लिए उतरे होंगे, तो उन्होंने यही सोचा होगा कि वो एक बड़ी पारी खेलकर अपनी विदाई को यादगार बना देंगे, लेकिन ऐसा हो न सका।
दादा ने अपने टेस्ट करियर की शुरूआत इंग्लैंड के खिलाफ क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लोर्डस के मैदान से शानदार सेंचुरी जड़ कर की थी। इस पारी में उन्होंने 131 रनों की शानदार पारी खेली थी, जिसमें 20 चौके शामिल थे। हालांकि, यह मैच ड्रॉ रहा था। भारत को कई ऐतिहासिक जीत दिलाने वाले इस पूर्व कप्तान ने अपने पूरे टेस्ट करियर में 16 सेंचुरी और 35 हाफ सेंचुरी बनाई। लेकिन, अपने आगाज को शानदार अंजाम तक नहीं पहुंचा पाए।
वैसे अपने टेस्ट करियर में तो काफी रिकॉर्ड बनाए। इस पारी में भी वे सर डॉन की बराबरी कर गए। अंतिम पारी में शून्य के स्कोर पर आउट होकर वे महान क्रिकेटर सर डॉन ब्रेडमैन के साथ खड़े हो गए हैं। ब्रेडमैन के करियर का अंत भी शून्य से ही हुआ था। ओवल में इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए अपने अंतिम मैच में सर डॉन ब्रेडमैन शून्य के स्कोर पर आउट हो गए थे। लेकिन, ब्रेडमैन के इस पारी की बराबरी करने पर खुशी तो बिल्कुल नहीं होगी क्योंकि कोई क्रिकेटर अपनी ऐसी विदाई बिलकुल नहीं चाहेगा।
यह भी विडंबना ही है कि शतक के साथ अपने टेस्ट क्रिकेट का आगाज करने वाले महाराज के करियर का अंत शून्य के साथ हुआ। दादा ने अपने करियर में कामयाबी के शिखर को भी छुआ है और नाकामयाबियों का दर्द भी झेला है। दादा के आखिरी टेस्ट की दोनों पारियां इस उतार-चढ़ाव का आइना हैं।
Sunday, November 9, 2008
Tuesday, July 29, 2008
क्रिकेट और रोमांस
क्रिकेट और रोमांस कई पहलूओं से एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। क्रिकेट खेलने वाले हर खिलाड़ी को क्रिकेट का भूत सवार रहता है, जिसे हम उसका रोमांस ही कह सकते है। इस लिहाज से क्रिकेट का सबसे बड़े आशिक का खिताब जाता है, हमारे मास्टर ब्लास्टर सचिन रमेश तेंदुलकर को, क्योकि इस समय कोई भी खिलाड़ी उनके सामने खड़े होने की हिम्मत तक नहीं कर सकता है। सचिन ऐसे खिलाड़ी है जो क्रिकेट खेलते खेलते क्रिकेट से बहुत आगे निकल गए है। आज जिन ऊंचाईयों पर सचिन बैठे हैं उन पर शायद ही कोई देसरा खिलाड़ी पहुंच पाए।
दूसरा नाम आता है महेंद्र सिंह धोनी का वो सचिन जितनी ऊंचाईयों पर तो अभी नहीं पहुंच पाए है, लेकिन उन्होंने पिछले काफी कम समय में क्रिकेट में वो जगह बना ली है जिसके लिए युवराज सिंह काफी सालों से कोशिश कर रहे है और अभी तक वहां नहीं पहुंच पाए है।
दूसरा नाम आता है महेंद्र सिंह धोनी का वो सचिन जितनी ऊंचाईयों पर तो अभी नहीं पहुंच पाए है, लेकिन उन्होंने पिछले काफी कम समय में क्रिकेट में वो जगह बना ली है जिसके लिए युवराज सिंह काफी सालों से कोशिश कर रहे है और अभी तक वहां नहीं पहुंच पाए है।
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