Sunday, January 18, 2009

बेमानी नहीं होगा भुवनेश्‍वर से उम्‍मीदें लगाना

उत्‍तर प्रदेश के युवा गेंदबाज भुवनेश्‍वर कुमार ने हालांकि फर्स्‍ट क्‍लास में ज्‍यादा मैच नहीं खेले हैं, लेकिन कम मैचों में ही उन्‍होंने साबित कर दिया है कि उनमें काफी संभावनाएं हैं। मुंबई के खिलाफ रणजी फाइनल के पहले दिन बेहतरीन गेंदबाजी कर सबका ध्‍यान अपनी ओर खींचा है।

18 साल के भुवनेश्‍वर कुमार ने अभी तक 13 फर्स्‍ट क्‍लास मैचों की 22 पारियों में करीब दो हजार गेंदों फेंकी हैं, लेकिन मुंबई के खिलाफ रणजी ट्रॉफी के फाइनल मैच के 20वें ओवर की जो दूसरी गेंद उन्‍होंने फेंकी, वह उनके लिए किसी ख्‍वाब के हकीकत में तब्‍दील होने से कम नहीं रही होगी। इस गेंद पर उन्‍होंने सचिन तेंदुलकर का बेशकीमती विकेट लिया।

भुवनेश्‍वर कुमार के हाथों से निकली इस गेंद को सचिन ने रक्षात्‍मक तरीके से खेलना चाहा, लेकिन गेंद स्विंग हुई और सचिन को चकमा देते हुए उनके बल्‍ले का अंदरूनी किनारा लिया, फिर पैड से टकराई और शॉर्ट मिड विकेट की ओर उछली, जहां शिवकांत शुक्‍ला ने आगे की ओर छलांग लगाते हुए उसे कैच में तब्‍दील कर दिया। सचिन पहली बार रणजी ट्रॉफी में बिना खाता खोले पैवेलियन लौट गए। सचिन को आउट करने की खुशी भुवनेश्‍वर के चेहरे पर साफ पढ़ी जा सकती थी।

हालांकि, इसके पहले भुवनेश्‍वर मुंबई के दो बल्‍लेबाजों को पेवेलियन की राह दिखा कर रणजी फाइनल में खुद को और अपनी टीम को शानदार शुरुआत दे चुके थे। लेकिन, सचिन के विकेट की तो बात ही कुछ और थी। रणजी ट्रॉफी में सचिन को पहली बार शून्‍य पर आउट करने वाले कुमार के लिए यह लम्‍हा उनके करियर का टर्निंग प्‍वाइंट साबित हो सकता है।

याद कीजिए 2006 की चैलेंजर ट्रॉफी। सचिन को अपनी एक बेहतरीन गुगली पर बोल्‍ड कर पीयूष चावला सुखिर्यों में छा गए और यही उपलब्धि थी, जिसकी वजह से उन्‍हें टीम इंडिया में जगह बनाने में ज्‍यादा देर नहीं लगी। लिहाजा, इस बार रणजी फाइनल में सचिन का विकेट लेने वाले भुवनेश्‍वर कुमार के लिए यह उम्‍मीद रखना बेमानी नहीं होगा।

बहरहाल, मोहम्‍मद कैफ ने शायद यह भांप लिया था कि उनके गेंदबाज इस पिच पर अच्‍छी गेंदबाजी कर सकते हैं। इसीलिए उन्‍होंने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला लिया। कैफ को भरोसा था कि कुमार में विकेट लेने की क्षमता है, यही कारण था कि उन्‍होंने शुरूआत में प्रवीण कुमार के साथ भुवनेश्‍वर को आक्रमण पर लगाया। भुवनेश्‍वर जब नई गेंद से पहला ओवर डालने के लिए आए तो स्‍ट्राइक पर वसीम जाफर जैसे दिग्‍गज बल्‍लेबाज थे, लेकिन उनकी स्विंग होती गेंदों का जाफर के पास कोई जवाब नहीं था। कुमार का पहला ओवर मेडन रहा। पिछले मैच में तिहरा शतक जड़ने वाले वसीम जाफर ( 1 रन) को भुवनेश्‍वर ने छठे ओवर में ही पैवेलियन की राह दिखा दी और अपने कप्‍तान के भरोसे को सही साबित किया।

फिर उन्‍होंने 14वे ओवर की पांचवीं गेंद पर दूसरे ओपनर विनायक सामंत और 20 वें ओवर की दूसरी गेंद पर सचिन तेंदुलकर को भी पैवेलियन भेज भुवनेश्‍वर ने मुंबई को बैकफुट पर धकेल दिया। इस समय मुंबई 55 रनों पर टॉप ऑर्डर के चार बल्‍लेबाजों को खोकर गंभीर मुश्किल में आ गई थी।

इसके बाद रोहित शर्मा और अभिषेक नायर ने 207 रनों की साझेदारी कर मुंबई को एक बड़े स्‍कोर तक पहुंचने की आस जगा दी और ऐसा लगने लगा कि उत्‍तर प्रदेश की टीम मुकाबले में पिछड़ने लगी है, तब कप्‍तान कैफ ने 81 ओवर बाद दूसरी नई गेंद ली और एक बार फिर बड़ी उम्‍मीदों के साथ भुवनेश्‍वर को थमा दी। भुवनेश्‍वर ने एक बार फिर अपने कप्‍तान के भरोसे को टूटने नहीं दिया।

कुमार ने नई गेंद से पहले ओवर की पहली ही गेंद पर नायर (99) को एलबीडब्‍ल्‍यू कर पेवेलियन भेज दिया। उन्‍होंने न सिर्फ अभिषेक को शतक से महरूम कर दिया, बल्कि मुंबई के बड़े स्‍कोर की उम्‍मीदों को भी करारा झटका दे दिया। इसकी अगली ही गेंद पर उन्‍होंने साई राज बहुतुले को भी पेवेलियन की राह दिखा, अपनी टीम में एक नया जोश भर दिया।

उत्‍तर प्रदेश के दायें हाथ के इस मध्‍यम तेज गति के इस गेंदबाज ने 2008-09 के रणजी सेशन में सधी हुई गेंदबाजी से सबका ध्‍यान अपनी ओर खींचा है। इस रणजी सीजन से पहले कोई नहीं जानता था कि भुवनेश्‍वर कुमार सिंह कौन है? वह सभी के लिए अनजान थे। लेकिन, उन्‍होंने अपनी शानदार गेंदबाजी से अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है। इस युवा गेंदबाज ने इस रणजी सीजन में 9 मैचों में 31 विकेट लिए । उन्‍होंने आंध्र प्रदेश के खिलाफ खेले गए पहले ही मैच में 9 विकेट लेकर यह साबित कर दिया था कि उनमें क्षमता की कमी नहीं है।
भवुनेश्‍वर एक ऐसी टीम के लिए खेल रहे हैं, जिसमें आरपी सिंह और प्रवीण कुमार जैसे अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर के तेज गेंदबाज और पीयूष चावला जैसे स्पिनर शामिल हैं। ये सभी अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर खुद को साबित कर चुके हैं। ऐसे गेंदबाजों के टीम में रहते अंतिम 11 में जगह बनाना और उनकी बराबरी का प्रदर्शन करना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।

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