रवींद्र जडेजा को श्रीलंका दौरे के लिए भारतीय टीम में चुन लिया गया है। रवींद्र जडेजा सौराष्ट्र के लिए खेलते हैं। इसके अलावा बालकृष्ण जडेजा भी सौराष्ट्र के लिए खेलते हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले अजय जडेजा का नाम तो क्रिकेटप्रेमियों के बीच खासा परिचित है। इन तीनों जडेजा के बीच सरनेम के साथ-साथ एक और चीज कॉमन है। और वो ये, कि तीनों ही जामनगर से ताल्लुक रखते हैं।
करीब पांच लाख की आबादी वाले जामनगर की कई बातें इसे देश के दूसरे शहरों से अलग करती हैं। आजादी से पहले नवानगर रियासत के नाम से जाना-जाने वाला जामनगर देश के औद्योगिक नक्शे में एक अहम नाम है। रिलायंस और एस्सार की ऑयल रिफाइनरियों को अपने में समेटे यह शहर ‘ऑयल’ सिटी के नाम से मशहूर है। आर्थिक दृष्टि से काफी संपन्न यह तटीय शहर क्रिकेट में भी शुरू से काफी समृद्ध रहा है।
क्रिकेट और जामनगर का संबंध बहुत पुराना रहा है। सौ साल से भी ज्यादा पुराना, जब भारत ने न तो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में न तो कदम रखा था और न ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल नाम की संस्था वजूद था। करीब एक सदी पहले नवानगर रियासत के नाम से जाने जाने वाले इस शहर के महाराजा कुमार श्री रणजीतसिंहजी जडेजा उर्फ रणजी (जिनके नाम पर रणजी ट्रॉफी है) ने अपने बेहतरीन खेल की बदौलत उन्नीसवीं सदी के अंत में अपने शासकों के देश इंग्लैंड में धूम मचा दी थी। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनकी शख्सियत क्रिकेट के पितामह कहे जाने वाले विलियम गिलबर्ट ग्रेस (डब्ल्यू. जी. ग्रेस) के जैसी ही ऊंची थी।
रणजी ने अपनी उच्च शिक्षा इंग्लैंड में ही पूरी की और ज्यादातर समय वहीं बिताया। रणजीतसिंहजी ने मई 1895 में इंग्लैंड की काउंटी ससेक्स से अपने क्रिकेट करियर की शुरूआत की। उन्होंने एमसीसी के खिलाफ अपने डेब्यू मैच में ही शतक जड़कर अपनी क्रिकेट की प्रतिभा का परिचय दे दिया था। लेग ग्लांस और लेट कट जैसे शॉर्ट क्रिकेट को देने वाले रणजीतसिंहजी बल्लेबाज के साथ-साथ एक बेहतरीन स्लिप फील्डर और शानदार गेंदबाज भी थे। रणजीतसिंहजी पहले ‘जडेजा’ थे, जिन्होंने क्रिकेट में अपने हाथ आजमाए। तब से लेकर अब तक यानी रवींद्र जडेजा तक क्रिकेट और जडेजा का रिश्ता जारी है।
रणजी के जमाने में भारत की कोई अपनी क्रिकेट टीम नहीं थी और न ही उस समय भारत ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम ही रखा था। इसलिए रणजी ने शुरूआत भी इंग्लैंड की टीम से खेलते हुए की और अपना अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच भी इंग्लैंड की ओर से ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला।
रणजी की क्रिकेट विरासत को और पुख्ता किया उनके भतीजे और जामनगर के महाराजा कुमार श्री दिलीपसिंहजी जडेजा ने, जिनके नाम से दिलीप ट्रॉफी खेली जाती है। इन्होंने इंग्लैंड की ओर से 12 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले, जिनमें उन्होंने 58.52 की औसत से 995 रन बनाए। इसके अलावा इन्होंने 205 फर्स्ट क्लास मैच खेले, जिसमें 50 शतकों के साथ इन्होंने 15485 रन बनाए।
जामनगर ने रणजी और दिलीप सिंह जी के अलावा वीनू मांकड, सलीम दुर्रानी, इंद्रजीत सिंह और अजय जडेजा जैसे शानदार क्रिकेट खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को दिए। भारत ने वेस्टइंडीज जैसी ताकतवर टीम से उसकी जमीन पर जो पहला टेस्ट जीता, उसमें सलीम दुर्रनी की अहम भूमिका रही थी। इस मैच की दूसरी पारी में क्लाइव लॉयड और गैरी सोबर्स को पैवेलियन भेज भारत की जीत की ठोस बुनियाद रखी। दुर्रानी अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले पहले क्रिकेटर थे।
जहां तक जाम नगर, जडेजा और क्रिकेट की बात है, तो रणजी, दिलीपसिंह जी के अलावा, इंद्रजीत सिंह जडेजा और अजय जडेजा ने भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इनके अलावा बालकृष्ण जडेजा, बिमल जडेजा, धर्मराज जडेजा, जदूवेंद्रसिंह जडेजा, लालूभा जडेजा, मोहनीश जडेजा, मुलूभा जडेजा, नरेंद्र जडेजा और राजेश जडेजा ने भी घरेलू क्रिकेट में जामनगर का नाम रौशन किया है।
बहुत कम लोग जानते हैं कि अजय जडेजा भी रणजीतसिंहजी के परिवार से ही ताल्लुक रखते हैं। फरवरी 1992 से वनडे करियर की शुरूआत करने वाले जडेजा ने हालांकि सौराष्ट्र के लिए एक भी फर्स्ट क्लास मैच नहीं खेला है। अजय जडेजा ने भारत की ओर से 196 वनडे और 15 टेस्ट मैच खेले। जडेजा एक आक्रमक बल्लेबाज और बेहतरीन फील्डर थे।
जामनगर ने इस बार फिर रवींद्र जडेजा के रूप में एक एक बेहतरीन क्रिकेटर भारत को दिया है। अभी तक जडेजा ने 22 फर्स्ट क्लास मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 65 विकेट तो चटकाए ही हैं, साथ ही 37.66 की औसत से 1130 रन भी बनाए हैं। उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर नाबाद 232 रन रहा है, जो दिखाता है कि उनमें लंबी पारियां खेलने का भी मद्दा है। इस रणजी सीजन में भी उन्होंने शानदार ऑलराउंड खेल का मुजाहिरा किया। इस रणजी सीजन में वो 42 विकेट लेकर मुंबई के धवल कुलकर्णी के साथ सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे। बल्लेबाजी में छठे नंबर पर रहते हुए रवींद्र ने कुल 739 रन बनाए, जिसमें 2 शतक भी शामिल थे।
जडेजा ने फर्स्ट क्लास करियर में तो अपने आप को साबित कर दिया है। लेकिन, अब देखना है कि वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कितना सफल हो पाते हैं और अपने पहले के ‘जडेजा’ रणजी, दिलीप सिंह जी और अजय जडेजा की शानदार क्रिकेट विरासत को किन ऊंचाइयों तक ले जा पाने में सफल होते हैं।
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