रणजी ट्रॉफी भारत में घरेलू क्रिकेट का सबसे बड़ा टूर्नामेंट है, जिसकी परफॉर्मेंस हर खिलाड़ी के लिए काफी मायने रखती है। यह वो स्टेज है जहां से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी पहचान बनाने का एक दरवाजा भी खुलता है। यह सही है कि शानदार प्रदर्शन कर रही टीम इंडिया में इस समय नए खिलाडि़यों के लिए ज्यादा गुंजाइश नहीं दिखती, लेकिन लगातार खेलने रहने के कारण खिलाडि़यों को लग रही चोटों से संभावनाएं कभी भी खत्म नहीं होती और ये युवा खिलाड़ी ऐसे ही मौके की उम्मीद में एक बार फिर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश जरूर करेंगे।
भारत में घरेलू क्रिकेट का सबसे बड़ा टूर्नामेंट माना जाने वाला रणजी ट्रॉफी इस साल अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंच चुका है। महीनों की जद्दोजहद के बाद सेमीफाइनल में मुंबई ने सौराष्ट्र को और यूपी ने तमिलनाडु को शिकस्त देकर फाइनल में अपनी जगह बनाई। ये दोनों ही टीमें अब खिताब से सिर्फ एक कदम की दूरी पर हैं। प्रारंभिक मुकाबलों से लेकर फाइनल तक के इनके सफर में कई खिलाडि़यों ने अपने प्रदर्शनों की छाप छोड़ी है। इनमें से कई ऐसे हैं जो पिछले कई सालों से लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं तो कुछ युवा और नए खिलाड़ी भी हैं जो नए जोश और जज्बे के साथ इन मुकाबलों में नई जान भर रहे हैं। सोमवार को जब ये दोनों टीमें आखिरी मुकाबले के लिए उतरेंगी तो एक बार फिर निगाहें इन खिलाडि़यों पर होंगी।
सबसे पहले बात करते हैं मुंबई के दायें हाथ के बल्लेबाज अंजिक्या रहाणे की, जिन्होंने सेमीफाइनल मैच में 85 रनों की शानदार पारी खेलकर मुंबई टीम को कप्तान वसीम जाफर के साथ मिलकर बेहतरीन शुरूआत दी। रहाणे की इस पारी की तारीफ मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने भी की थी। सेमीफाइनल मैच के पहले दिन जब रहाणे टीब्रेक में ड्रेसिंग रूम पहुंचे, तो तेंदुलकर ने उनसे कहा कि तुम बहुत अच्छा खेल रहे हो, कोई भी गलत शॉट नहीं खेलना, रन अपने आप ही बनते रहेंगे। मैच के बाद सचिन ने खुद रहाणे की तारीफ की और कहा कि रहाणे लंबी रेस का घोड़ा साबित हो सकते हैं। रहाणे ने इस रणजी सीजन में अभी तक खेले गए 9 मैचों की 15 पारियों में 75.78 की औसत से 1061 रन बनाए हैं। इसमें 4 शतक और 5 अर्धशतक शामिल हैं। हालांकि वसीम जाफर 1174 रन बनाकर उनसे थोड़ा आगे हैं, लेकिन यह अंतर सिर्फ सेमीफाइनल मैच में जाफर द्वारा लगाए गए तीसरे शतक से आया है। रहाणे की यह शानदार परफॉर्मेंस रणजी के पिछले सीजन से ही जारी है। पिछले साल उन्होंने 6 मैचों की 11 पारियों में 487 रन बनाए थे, जिसमें 1 शतक और 2 अर्धशतक शामिल थे।
वहीं दूसरी और यूपी टीम में बायें हाथ के बल्लेबाज तन्मय श्रीवास्तव ने अपनी टीम को फाइनल तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है। तन्मय भारत की अंडर-19 वर्ल्ड कप विजेता टीम के हीरो थे। इस टूर्नामेंट में उन्होंने भारत की ओर से सबसे ज्यादा रन बनाए थे और टीम को कप दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। तब से अब तक तन्मय लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। आईपीएल में किंग्स इलेवन पंजाब की टीम का हिस्सा रहे तन्मय ने इस साल रणजी ट्रॉफी में आंध्रा के खिलाफ 154 रनों की पारी खेल शानदार आगाज किया। इस रणजी सीजन में तन्मय ने 8 मैचों की 13 पारियों में 54.50 की औसत से 654 रन बनाए हैं, जिसमें 2 शतक और 4 अर्धशतक शामिल हैं।
बात करें गेंदबाजों की तो मुंबई की ओर से जिस गेंदबाज ने सबसे ज्यादा ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया, वो हैं धवल कुलकर्णी। इंडियन प्रीमियर लीग से पहली बार चर्चा में आए कुलकर्णी आईपीएल में मुंबई इंडियन्स टीम का हिस्सा थे। आईपीएल के 10 मैचों में 11 विकेट लेकर दायें हाथ के इस मध्यम तेज गति के गेंदबाज ने यह सिद्ध कर दिया था कि उसमें विकेट लेने की भरपूर क्षमता है। ट्वेंटी-20 क्रिकेट में एक गेंदबाज का सबसे बड़ा हथिहार होता है, बिना अपनी एकाग्रता खोए सही लाइन और लेंग्थ के साथ गेंदबाजी करना। यह खासियत आईपीएल में कुलकर्णी की गेंदबाजी में दिखाई दी, जो रणजी ट्रॉफी मुकाबलों में भी जारी है। इस सीजन में कुलकर्णी विकेट लेने के मामले में सिर्फ सौराष्ट्र के रवीन्द्र जडेजा(42 विकेट) और गुजरात के मोहनीश परमार(41 विकेट) से पीछे हैं। कुलकर्णी ने 8 मैचों में 37 विकेट लिए हैं। सेमीफाइनल मैच में सौराष्ट्र के तीन मुख्य विकेट लेकर कुलकर्णी ने ही मुंबई की जीत की राह आसान की थी।
वहीं दूसरी ओर यूपी के सिर्फ 18 साल के दायें हाथ के मध्यम तेज गति के गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार ने भी अपनी सधी हुई गेंदबाजी से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस रणजी सीजन से पहले कोई नहीं जानता था कि भुवनेश्वर कुमार कौन है, वह सभी के लिए अंजान थे। लेकिन उन्होंने अपनी शानदार गेंदबाजी से अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है। इस युवा गेंदबाज ने इस रणजी सीजन में 8 मैचों में 25 विकेट लिए। उन्होंने आंध्रा के खिलाफ खेले गए पहले ही मैच में 9 विकेट लेकर यह साबित कर दिया था कि उनमें क्षमता की कमी नहीं है।
रणजी ट्रॉफी भारत में घरेलू क्रिकेट का सबसे बड़ा टूर्नामेंट है, जिसकी परफॉर्मेंस हर खिलाड़ी के लिए काफी मायने रखती है। यह वो स्टेज है जहां से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी पहचान बनाने का एक दरवाजा भी खुलता है। पिछले साल रणजी टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले गौतम गंभीर और एस बद्रीनाथ जैसे खिलाड़ी इस समय भारत की ओर से खेल रहे हैं। हां, यह सही है कि शानदार प्रदर्शन कर रही टीम इंडिया में इस समय नए खिलाडि़यों के लिए ज्यादा गुंजाइश नहीं दिखती, लेकिन लगातार खेलने रहने के कारण खिलाडि़यों को लग रही चोटों से संभावनाएं कभी भी खत्म नहीं होती और ये युवा खिलाड़ी ऐसे ही मौके की उम्मीद में एक बार फिर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश जरूर करेंगे।
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